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Best Story Vikram Betal Ki Kahani King and Servant-बेताल पच्चीसी

 

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एक समय की बात है रूपसेन नाम का राजा वर्धमान नगर मै राज करता था। उसकी प्रजा भी उससे बहुत खुश थी वो अपनी प्रजा का बड़ा धियान रखता था। एक दिन उसके राज्य मै एक साधु आया और राजा रूपसेन से मिला। साधु ने भविष्यवाणी की के राजा की जान को खतरा है और राजा को तुरंत एक होनहार आज्ञाकारी ताजपूत को अपनी सुरक्षा के लिए नियुक्त करना चाहिए।

राजा ये सुन कर बहुत चिंता मै पद गया। राजा ने दरबारियों को बुलाया और आदेश दिया एक ऐसा राजपूत को धुडा जाए जो साधु द्वारा बताए गए गुड़ रखता हो। कुछ समय के बाद ही दरबारी एक राजपूत को ले कर आ गए। राजा ने कहा “तुम्हारा नाम क्या है?’

राजपूत ने जवाब दया “मेरा नाम वीरवार है और मै तलवार का धनि हूँ”

राजा ये सुन कर खुश हो गया राजा ने कहा “हम तुम्हे अपना अंगरक्षक नियुक्त करते है बताओ बदले मै तुम्हे कितना धन चाहिए”

वीरवार ने जवाब दिया “महाराज मुझे बदले मै हज़ार तौला सोना रोज़ चाहिए”

राजा सुन कर अचंभित हो गया इतने धन का ये क्या करेगा। राजा ने पूछा “तुम्हारे घर में कितने लोग रहते है?” वीरवार ने जवाब दिया “मेरे साथ मेरी पत्नी एक बीटा और एक बेटी रहते है।”

राजा ने कहा “इतने धन का तुम क्या करोगे ये तो बहुत अधिक है” वीरवार ने कहा ये धन राजा की जान के बदले कुछ भी नहीं बदले मै कोई भी विपदा पहले मुझसे टकराएगी”

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